लेखक : हरिमोहन झा

अखबारमे बड़का-बड़का मोट हेडलाइनमे बहरायल -'कालाजार फेर आबि गेल।' चारू कात खलबली मचि गेल। कालाजारक उन्मूलन करबाक हेतु पचास करोड़क पंचवर्षीय योजना बनल छल। घोषणा कयल गेल छल जे "कालाजार सर्वदाक हेतु देशसॅं बिदा भऽ गेल। जे व्यक्ति कालाजारक समाचार देताह तनिका एक हजार टाका पुरस्कार भेटतनि।"

आपात्कालीन सभा भेल। कालाजारक विरुद्ध एकसॅं एक जोरदार भाषण होबऽ लागल। "कालाजार राक्षस थिक। ई जोंक जकाँ लोकक शोणित पीबि रहल अछि। एहि भयंकर रोगकें शीघ्र देशसॅं भगयबाक चाही।"

एक उच्चस्तरीय आयोग बैसाओल गेल। जाँचक विषय निर्धारित कयल गेल जे-

१. कालाजार कि सरिपों आबि गेल अछि? २. ई कोम्हरसॅं कोना आ किएक आबि गेल? ३. एकर अयबाक हेतु के उत्तरदायी छथि? ४. कालाजारकें कोना जड़ि-मूलसॅं नष्ट कयल जाय जे फेर भविष्यमे एकर अयनाइ असंभव भऽ जाइक?

आयोगक समक्ष दस हजार गवाही पेश भेल। भिन्न-भिन्न वर्गक लोकसॅं बयान लेल गेल। दस मासक अथक परिश्रमसॅं एक हजार पृष्ठक रिपोर्ट बहरायल। अध्यक्षक वक्तव्य एक लाख शब्दमे प्रकाशित भेल।

एहि सभ कार्यकलापमे देशक चारि करोड़ टाका व्यय भेल। समुद्र-मंथनक फलस्वरूप निष्कर्ष रूपमे चारि टा महावाक्य सामने आयल-

१. कालाजार सरिपों आबि गेल अछि। २. ई वस्तुतः देशसॅं गेल नहि छल, दबल छल, पुनः उभड़ि गेल अछि। ३. एकर अयबाक हेतु उत्तरदायी छथि समाजक लोक जे स्वास्थ्य-रक्षाक नियम पूर्णतः पालन नहि करैत छथि। ४. कालाजारक समस्त कीटाणुकें तेना समूल नष्ट कऽ देबाक चाही जाहिसॅं फेर भविष्यमे एकर अयनाइ असंभव भऽ जाइक।

आयोगक सिफारिश भेलैक जे कालाजारक विभीषिकाकें देखैत सभ मोर्चापर ओकर सामना कयल जाय। प्रत्येक संभव उपाय कयल जाय। सरकार दिससॅं चौबीस- सूत्री कार्यक्रम निर्धारित भेल आ राति-दिन भोंपूपर ओकर प्रचार होबऽ लागल।

राष्ट्रीय स्तरपर प्राप्तीय स्तरपर, जिला स्तरसॅं लऽ ब्लौक स्तरपर नाना समिति आ उपसमिति संघटित कयल गेल। किछु सरकारी, किछु अर्द्धसरकारी, किछु गैर- सरकारी। भिन्न-भिन्न झंडाक तर कालाजारक विरुद्ध निन्दाक प्रस्ताव पास कयल गेल। विचार भेल जे पुनः पंचवर्षीय अभियान चलाओल जाय, आर जोर-शोरसॅं।

विशेषज्ञ लोकनिक टीम बनाओल गेल जे देश-विदेशमे घूमि कऽ कालाजारक अध्ययन करथि, अनुसंधान करथि जे आन-आन ठाम एहि रोगक कोना निवारण आ उपचार कयल जाइत छैक। एलोपेथिक, होमियोपेथिक, आयुर्वेदिक, युनानी आ प्राकृतिक चिकित्सा वला सभकें प्रतिनिधि-मंडलमे आनुपातिक स्थान भेटलनि। कोनो जाति-धर्म, वर्ग वा अल्पसंख्यक समुदायक लोक छूटल नहि पाबथि, ताहिपर विशेष ध्यान राखल गेल।

विश्वविद्यालय सभमे कालाजारपर शोध करबाक हेतु छात्र आ अध्यापक-गणकँ लाखक लाख अनुदान -प्रतियोगिता आयोजित होबऽ लागल । आकाशवाणीमे नित्य कालाजारपर वार्त्ता, परिचर्चा आ लघुनाटिका प्रसारित होबऽ लागल ।

अस्पताल सभमे नोटिस टाङल गेल - 'कालाजारसँ सावधान' । किछु बेसी देशभक्त डाक्टर 'सँ' के काटि देलथिन - 'कालाजार सावधान!' मेडिकल कालेजक छात्र, छात्रा, नर्स, डाक्टर, सभ कालाजारक विरोधमे बाँहिपर कारी पट्टी लगौलनि - 'कालाजार देशक शत्रु थिक ।' लोककँ पकड़ि-पकड़ि कऽ जबर्दस्ती कालाजारक सुइ देबऽ लागि गेलथिन । शहरसँ लऽ देहात पर्यन्त प्रभातफेरी आ नाराक स्वर गूँजि उठल - 'कालाजार मुर्दाबाद ।'एकटा कवि 'कालाजार-संहार' नाम महाकाव्य एगारह सर्गमे प्रस्तुत कयलनि ।

अखबार सभ मे धुरझाड़ कालाजारपर सनसनीदार लेख-कविता आ चित्र प्रकाशित होबऽ लागल । किछु पत्र-पत्रिका 'कालाजार विशेषांक' बहार कयलनि । रेलमे, बसमे, देबालपर कालाजार विरोधी पोस्टर साटल गेल । डाक-विभागक दिससँ पोस्टकार्ड, लिफाफ पर्यन्तपर कालाजार-विरोधी टिकट लगाओल गेल । सड़कक नुक्करड़पर सम्मेलन होबऽ लागल -

         आयल कालाजार छै
        मरैत हजार छै
        मरघट बजार छै
        लोक बेजार छै
        रक्षक सरकार छै
      

कालाजार-कोष संग्रहक हेतु 'चैरिटी शो कऽ आयोजन कयल गेल। नृत्य मंदिरमे कालाजारपर भरतनाट्यम,अ भेल। कलाभवनमे कालाजार विषयक एकांकीक मंचन भेल।

टेलीभीजनपर कालाजारक भयंकर दृश्य देखाओल जाय लगलैक, जाहिसॅं दर्शकक मनमे ओकरा प्रति घृणा जागृत होइक।

प्रचार विभाग एक करोड़क लागतसॅं एक रंगीन फिल्म बनाबऽ लागल जाहिसॅं कालाजार फेर कहियो अपन मुँह नहि देखा सकय।

पण्डितो लोकनि पाछाँ नहि रहलाह। ठाम-ठाम कालाजार-संहारक हेतु यज्ञ आ पुरश्चरण करऽ लगलाह। अहर्निश मंत्र पढि हवन करऽ लगलाह- 'ओम् वषट् कालाज्वराय स्वाहा।'

साधु-समाजक एक प्रधान नेता महाकालानन्द स्वामीजी अनशनपर बैसि गेलाह- यावत ई दुष्ट कालाजार देशसॅं नहि जायत, तावत पर्यन्त अन्न-जल ग्रहण नहि करब। महिलोगण जोर लगौलनि। गाम-गाम, घर-घर, घूमि कऽ गृहिणीसभकें आँचर कसि कालाजार विरोधी अभियानमे योगदान देबाक हेतु आह्वान कयलथिन। आङनमे रेडियोक लोकगीत भोंभिया उठल-

        भाग-भाग हमरा घरसॅं रे,
              लुचबा कालाजरबा।
        बाढनिसॅं तोरा मारबौ रे,
              धरकट-कालाजरबा॥
       

परन्तु बहिरा करैत जकाँ कालाजारपर एहि सभक कोनो प्रभाव नहि पड़लैक। ओ बढिते गेल। अजगर साँप जकाँ मोटाइते गेल। विधान सभामे, लोक सभामे, विधान परिषद्मे, राज्य सभामे, प्रश्नपर प्रश्न बौछार होबऽ लागल।

सांख्यिकी विभागसॅं बुलेटिन बहरयलैक जे विगत वर्षक एहि मासमे कालाजारक जतबा प्रकोप छलैक, ताहिमे मात्र ०.०००१ क वृद्धि भेल अछि। परन्तु एहि उत्तरसॅं लोककें संतोष नहि भेलैक। सरकारक दिससॅं पुनः दोसर आयोग बैसल। एहि बेर युद्धस्तरपर कालाजारक मोकाबिला करबाक हेतु एक अरबक योजना बनल।

कालाजारकें राष्ट्रीय अपराध घोषित कऽ देल गेल। कठोरसॅं कठोर कानूनक धारा बनाओल गेल। कैकटा अधिसूचना जारी भेल। राज्य-मंत्री घोषणा कयलनि -"हम सभ कालाजारकें निर्मूल करबाक हेतु कृतसंकल्प छी, कटिबद्ध छी।'

केन्द्रमंत्री एलान कयलथिन-'यदि कालाजार आब आर उपद्रव करत तॅं हमसभ चुप नहि बैसल रहब।"

पहिने चेतावनी देल गेल, तखन अपील कयल गेल। जखन अपीलसॅं काज नहि चलल तॅं पुनः चेतावनी देल गेल। जखन चेतावनीसॅं काज नहि चलल तॅं पुनः अपील कयल गेल।

एहि बेर कालाजारसॅं जुझबाक हेतु युद्धस्तरीय सैन्य दलक मोर्चा संघटित कयल गेल। तकर मुख्य सेनानी बनाओल गेलाह एक तेहन 'महाचिकित्सापाल' जे संग्राममे 'परम वीरचक्र' प्राप्त कयने रहथि।

ओ अबिते घोषणा कयलनि जे छौ मासक अभ्यंतर कालाजार आ ओकर सहायक तत्त्वकें नष्ट कऽ देल जायत। ककरो कालाजारसॅं मरऽ नहि देल जायत।

लोकक मनमे आशा जगलैक जे जहिना चाणक्य कुशक जड़िमे मट्ठा पटाकऽ ओकरा निर्मूल कऽ देने रहथिन, तहिना आब कालाजार जड़ि-मूलसॅं साफ भऽ कऽ रहत।

परन्तु ओ आशा बकाण्ड-प्रत्याशा मात्र सिद्ध भेल। एक दिन अकस्मात् रेडियोसॅं समाचार घोषित भेलैक- "खेदक विषय जे महाचिकित्सापाल कालाजारसॅं मरि गेलाह। ओ कालाजारसॅं लड़ैत-लड़ैत वीरगतिकें प्राप्त कयलनि। देश-कल्याणमे शहीद भऽ गेलाह। हुनक अन्त्येष्टि-क्रिया पूर्ण राजकीय सम्मानसॅं कयल जयतनि।

आब समस्या अछि, दोसर सेनानी किनका बनाओल जाइनि?