लेखक : हरिमोहन झा

गाड़ी तीव्र गतिसॅं जा रहल छल। 'एयरकंडीशन' क तीन गद्दापर तीन जोड़ दंपति विराजमान छलाह-बंगाल, पंजाब आ केरलक, जेना त्रिभुजक तीन विंदु।

रातुक साढे दस बाजि रहल छल। तीनू पति पढबामे तल्लीन छलाह। पत्नीलोकनि अपना-अपना टिफिन-केरियरसॅं भोजन निकालि कऽ परसि रहल छलीह।

बंगाली महोदय 'आनन्द बाजार पत्रिकाऽक अऽढसॅं देखलनि-केरल कन्या पातर-छरहर सुन्दरी, लगभग उनैसक वयस, खोंपामे फूलक मुकुट लगौने राजकुमारी सन लगैत छथि। कत्थइ साड़ीपर बैगनी रंगक चोली जेना नीलकमलसॅं स्पर्द्धा करैत होइनि। इडली, दोसा, रसम् संवरम् आदि विविध पदार्थ परसि रहल छलीह।

बंगाली माशाक मुँहमे पानि भरि अयलनि। ओ लुब्ध आँखिसॅं भोज्य सामग्रीक संग-संग परसऽ वालीक रस लेमऽ लगलाह। आखिर रहल नहि गेलनि। बाजि उठलाह- दोक्खिनी भोजन ठो बोहुत ओच्छा होता है।

केरल-किशोरी चौंकिकऽ अपन आँचर ठीक करऽ लगलीह । ता केरल युवक 'फिल्मफेयर' क अऽढसँ ओहि पंजाबिन युवतीक मांसल सौंदर्य पीबि रहल छलाह जे तश्तरी मे रसदार आलू-छोला, कीमा-मटर आ गूलर-कबाब सजा रहलि छलीह । पंजाबिन सोंटल देहक युवती छलीह । छब्बीससँ छतीसक बीचमे । रेशमी शलवारपर किशमिशी रंगक कुर्ती ओ प्याजी रंगक ओढनी हुनकर गुलाबी गोराइपर सान चढा रहल छलन्हि । ठोरक लाली देखि बूझि पड़ैत छल जेना एखने टटका शोणित पीबि आयल होथि । केरल युवक तरे-तरे आँखिएँ ओहि गदरायल यौवनक स्वाद लऽ रहल छलाह

बंगाली माशाक बात सुनि अकस्मात केरल युवक चौंकि उठलाह जेना चोर सेन्हपर पकड़ा गेल हो । सिटपिटाइत बजलाह-यू लाइक साउथ इंडियन फूड,बट आइ लव पंजाबी डिशेज । (आहाँकँ दाक्षिणात्य भोजन पसिन्न अछि, मुदा हम तँ पंजाबी भोजनक प्रेमी छी ।)

ई चाटुकारिता देखि पंजाबिनक सेव सन गालपर किछु आर गुलाबी रंग भरि गेलनि । ओ छनाइत मालपुआ जकाँ खिलि उठलीह ।

आब पंजाबी सज्जनकँ अपन मनोभाव प्रगट करबाक अवसर भेटि गेलनि । बजलाह - आपको पंजाबी खाना पसंद है, लेकिन मुझे तो बंगाली चीजें ऎट्रैक्ट (आकृष्ट) करती हैं ।

हुनक कहब अकारण नहि छलनि । किएक तॅं बंगवधू जे चर्चरी, डालना, माछक प्लेट सजा रहल छलीह, तकर सुंगधसॅं सौंसे कोठरी मॅंहमॅंह कऽ रहल छल। स्वयं बंगबालाक आकर्षणो साधारण नहि छलनि। ओ दीप-शिखा जकाँ चमकि रहल छलीह। श्वेत पद्म सन शुभ्र नायलनमे तुषारहार-धवला सरस्वती जकाँ प्रतीत होइत छलीह। हुनक चंपकवर्ण आभा गिनीगोल्डक रंगकें लजबैत छल। भालपर कुंकुमक गोल बिंदी जेना सौन्दर्यपर मोहरक छाप लगौने होइनि।

पंजाबी सज्जनक खुशामदी बात सुनि ओ संपुटित अधरमे मुसका उठलीह आ अपना पति दिस ताकऽ लगलीह।

बंगाली माशा प्रस्ताव कयलथिन-तो फिर आइये न। आज रहे बंगाली खाना। केरल युवक बंगाली माशाकें निमंत्रित करैत कहलथिन्ह- देन यू औलसो कम हियर। यू लाइक साउथ इंडियन फूड। (तखन अहूँ एहि ठाम आबि जाउ। अहाँकें दाक्षिणात्य भोजन पसिन्न अछि।)

आब पंजाबी सज्जनक पार छलनि। ओहो केरल -युवककें कहलथिन - तब आप मेरी जगह ले लीजिए। बस, हिसाब बैठ जायगा।

एके क्षणमे दृश्य बदलि गेल। इंदीवर-दल-श्यामा केरल-कन्या अपना लग बैसल बंगालीकें दोसाक रसास्वादन करा रहल छलीह। नवनीत-कोमला बंग-सुकुमारी छेनाक मुलायम कचौरी पंजाबीकें प्रदान कऽ रहल छलीह। तेसर गद्दापर विशाल-यौवना पंजाबिन दाक्षिणात्यकें तंदूरी रोटी खुआ रहल छलीह।

तीनू गोटे आनन्दसॅं भोजनक रस लैत वार्त्तालाप करऽ लगलाह। बंगाली माशा नारियरक चटनीके जीभपर दैत बजलाह-इशी माफिक कोभी-कोभी श्वाद बोदलना जोरूरी होता है।

पंजाबी सज्जन चर्चरीक रसास्वादन करैत अनुमोदन कयलथिन- इस में क्या शक? रोज वही रोटी-सालन मिले तो फिर जिंदगी में लुत्फ क्या?

केरल युवक काबुली चनाक स्वाद लैत समर्थन कयलथिन- लाइफ मीन्स चेंज। वी मस्ट हैव सम डिविएशन्स फ्राम डेली रूटीन। (जीवनक अर्थ नवीनता। दैनिक क्रममे किछु ने किछु परिवर्तन होबहिक चाही।)

बंगाली माशा बजलाह-आज-कोल कोलचरल इंटरमिक्सचर (सांस्कृतिक सम्मिश्रण) का जमाना है। शोबसे शोबका निकटतम शोम्बन्ध होनेका जोरूरत है।

पंजाबी सज्जन कहलथिन-यह तभी हो सकता है तब हम प्रान्तीयता की दीवारें लाँघकर एक बन जाँय।

केरल युवक बजलाह- इन्टरनेशनल मैरज कैन साल्व द प्राब्लेम आफ वर्ल्ड युनिटी। द स्लोगन अॉफ ब्रदरहुड हैज बिकम रादर ओल्ड। इट शुड नाउ बी रिप्लेस्ड बाइ युनिवर्सल ब्रदर-इन-लॉ हुड। (विश्वमे एकता स्थापित करबाक हेतु अन्तर्राष्ट्रीय विवाह होमक चाही। भाइ-भाइक नारा आब पुरान पड़ि गेल। आब मनुष्य-मनुष्यमे सार बहिनोयबला मधुर संबंध कायम होयबाक चाही। उदार चरितानां तु संसारःश्वशुरालयः। )

पंजाबी सज्जन अट्टहास करैत कहलथिन-यह भी आपने एक ही कही। रूस-अमेरिका में ससुराली रिश्ता कायम हो जाय तो फिर झगड़ा किस बात का? बल्कि मैं तो कहता हूँ कि सभी मुल्कों की औंरतें आपसमें बहन-बहनका रिश्ता जोड़ ले। फिर चीनी, जापानी, हिन्दुस्तानी, पाकिस्तानी- सभी साढू बनकर मौज के साथ होली का रंग उड़ावें। यही तो आनंद मार्ग है।

महिलासभ कनखीसॅं एक दोसराक दिस देखलनि। हुनकोलोकनिक ठोरपर मुसकी आबि गेलनि। बंगाली माशा बजलाह-जोरू लोग खाता क्यों नहीं है? आप लोग भी शोरू कीजिए न।

तीनू देवी आधुनिका छलीह, तथापि कनेक थकमका गेलीह जे पर-पतिक संग सह-भोजन कोना करू। परन्तु आँखिये-आँखिमे पतिक संकेत पाबि हुनकालोकनिक संकोच दूर भऽ गेलनि।

आब आर मनोरंजनक दृश्य उपस्थित भऽ गेल। बंगाली माशा केरल युवतीक संग रसम् पिबैत छलाह। केरल युवक पंजाबिन संग रोगन जोश उड़ा रहल छलाह। पंजाबी सज्जन बंग-सुन्दरीक संग तरल माछक स्वाद लऽ रहल छलाह।

वार्तालापमे आर अधिक प्रगति आबि गेल। सह-अस्तित्व, सहिष्णुता आर उदार दृष्टिकोणक जोर-जोरसॅं समर्थन होमऽ लागल। बूझि परैत छल जेना विशाल-हृदय सहयात्री-लोकनि विश्वक समग्र भेदके होमऽ लागल। बूझि परैत छल जेना विशाल-हृदय सहयात्री-लोकनि विश्वक समग्र भेदकें मेटाकऽ आइये राति पूर्ण एकता स्थापित कऽ लेताह।

केरल युवक बजलाह-वी मस्ट कास्ट एसाइड आल नैरी प्रिज्युडिसेज। बुर्जुआ मोरेलिटी हैज टु बी बरीड नाउ। (पुरान कुसंस्कार सभकें दूर कऽ आब रूढिवादी धर्मशास्त्रकें माटिमे मिला देबक चाही।)

बंगाली बाबू अनुमोदन कयलथिन-'चेस्टिटी' (सतीत्व) को ही लीजिए। यह मिड्ल एज (मध्ययुग) की मोरलिटी (नैतिकता) है। ट्वेंटिएथ सेंचुरी (बीसवीं शताब्दी) में चोल नहिं शोकता।

पंजाबी सज्जन समर्थन कयलथिन-अजी, इन चीजों में क्या रक्खा है? ये पोंगापंथी खयालात न नीचे-वालों में है, न ऊपरवालों में। कुछ बीचवाले लोग इन्हें ढोये फिरते हैं। वह भी महज दिखावे के लिए। यह सब बिल्कुल ढकोसला है।

केरल युवक सिगरेट जरबैत बजलाह-इन दिस स्पुटनिक एज सेक्स कैन नॉट रिमेन कनफाइन्ड टु मैरेज। द मोनोपोली आफ द हसबैंड मस्ट गो। (एहि चरम वैज्ञानिक युगमे यौन-संबध विवाहक संकीर्ण सीमामे बान्हल नहि रहि सकैछ। पतिक एकाधिकार आब भंग होमहिक चाही।)

पंजाबी सज्जन सिगारक धुआँ उड़बैत बजलाह-अजी, ये सब बातें अब आप से आप मिटती जा रही हैं। जो कुछ बची-खुची बेबकुफियाँ हैं, उन्हें जमाना धो बहा ले जाएगा।

बंगाली माशा केरल कन्याक हाथसॅं पानक बीड़ा लैत बजलाह-मोरल रिवोल्यूशन (नैतिक क्रांति) ठो कोरना ही होगा। हाम 'एजुकेटेड'(शिक्षित) लोग 'लीड' (नेतृत्व) नहिं लेगा तो फिर कौन लेने शकेगा?

पंजाबी सज्जन गर्वपूर्वक बजलाह-'थियोरी प्रीच' करना (सिद्धान्त बघारना) तो आसान है, लेकिन 'प्रैक्टिस' (व्यवहार) में भी लाया जाय तब तो। भाई, मैं तो 'थ्योरी' और 'प्रैक्टिस' में कोई फर्क नहीं रखता।

केरल युवक तैशमे आबि कहलथिन्ह-आइ टू नेवर प्रीच ह्वाट आइ डु नॉट प्रैक्टीस। (हमहूँ जे कहैत छी से कऽ देखबैत छी।)

बंगाली माशा मंद-मंद बिहुँसैत बजलाह-बाबा! हाम भी किशीसे कोम प्रगतिशील नहिं है। सर्वोदय का सिद्धान्त श्वीकार कोरता है।

तीनू गोटे एक दोसराकें देखलनि। सहसा जेना बिजली चमकि उठल। रेलक बत्ती अकस्मात् मिझा गेलैक। अन्हार गुज्जमे सभ किछु एकाकार भऽ गेल-भैरवी चक्र जकाँ। जे जहाँ बैसल छलाह से ततहि रहि गेलाह। फेर कोनो शब्द सुनाइ नहि परल।

गाड़ी तीव्र गतिसॅं चलि रहल छल-कतेक नदी-नालाके पार करैत। बाहर भयंकर बिहाड़ि चलैत छल। मुदा शीत-ताप नियंत्रित कक्षमे पूर्ण शांति छल। गाड़ी अपना लीखपर चलि रहल छ्ल। यात्री अपन-अपन गन्तव्य स्थान दिस बढल जा रहल छलाह। तीनू जोर पति-पत्नी समानान्तर रेखामे चलि रहल छलाह। केवल किछु क्षणक लेल ओ बहकि गेल छलाह। जेना हवाक एक टा हल्लुक झोंका आयल आ तीन टा वृक्षक कोमल शाखा एक दोसराकें कने स्पर्श कऽ गेल। बस।

नव प्रभातक प्रथम प्रकाशमे सहयात्री लोकनि एक दोसराकें देखलनि। सभ अपन-अपन उचित स्थानपर उपस्थित छलाह। अपूर्व आनंद ओ उल्लासक मस्ती हुनकालोकनिक आँखिमे छलकि रहल छलनि। तीनू देवी सद्यः प्रस्फुटित पुष्प जकाँ प्रफुल्ल छलीह। ओ सभ खिड़की खोलिकऽ उन्मुक्त पक्षी जकाँ फुदुकिकऽ अपना- अपना पतिसॅं गप्प करैत छलीह, निर्विकार भावसॅं, जेना किछु भेले ने हो। जेना एक लहरि आयल ओ चल गेल।

गृहणी लोकनि नहा-सोना कऽ स्वच्छ भेलीह आ अपना-अपना थर्मससॅं चाह ढारि कऽ अपना-अपना पतिदेवकें पियाबऽ लगलीह। एहि बेर किनको विनिमयक आवश्यकता नहि बुझि परलनि।

अगिला जंक्शनपर तीनू दंपति उतरि गेलाह, एक दोसराके बाइ-बाइ कयलनि और अपन बाट धयलनि। ओम्हर पंजाब मेल चलैत रहल, चलैत रहल .....