लेखक : हरिमोहन झा

मिस बिजली कैं छकैबाक हेतु सी० सी० मिश्रक पेट मे हर बहय लगलैन्ह । कखनो होइन्ह जे व्यायामशाला मे जा कऽ बौक्सिंग प्रैक्टिस करी । कखनो होइन्ह जे एक बढ़ियाँ घोड़ा लऽ कऽ मैदान मे सवारीक अभ्यास करी । कखनो होइन्ह जे गंगाक ओहि पार जा बन्दूक चलैबाह रेयाज करी । ई सभ त नहि भेलैन्ह, लेकिन घुड़सवारी, घुसेबाजी, और शिकार पर जतेक किताब यूनवर्सिटी लाइब्रेरी मे भेटलैन्ह से सभटा एक दिस सॅं पढ़ि गेलाह । एहि विषयक सूचिपत्र पर्यन्त नहि छोड़लन्हि ।

बिजलीक एक-एक मर्मभेदी वाक्य हुनका सालय लगलैन्ह । सभ सॅं बेशी ई बात लगलैन्ह जे, अहाँ पहिने, अपना घर मे त शिक्षाक ज्योति जगाउ ! मिश्रजी अपना मन मे कहलैन्ह - बिजली आखिर अपना कैं बुझै की छथि ? ई बडे़ करै छथि त हमहूँ देखा दैत छिऎन्ह !

मिश्रजी एहि संकल्प-विकल्प मे पड़ल छलाह कि हठात रेवतीरमण आबि पहुँचलथिन्ह । रेवतीरमण किछु सिहरल सन भऽ कऽ कहय लगलथिन्ह - गाम मे महिला-क्लब वा बुच्चीदाइक समुचित शिक्षाक आयोजन हैब त असंभवे जकाँ बुझना जाइछ । तैं हम एतय आयल छी । आब जे अहाँक आदेश हो से हमरा लोकनि करक हेतु तैयार छी ।

सी० सी० मिश्रक जतेक खीस बिजली पर छलैन्ह से सभटा रेवती पर उतारय लगलथिन्ह । रेवती त विषक घोट पीबक हेतु जी-जान अरोपिए कऽ आयल छलाह । अपन सभटा दोष सकारैत, दण्डक हेतु माथ ओरि देलथिन्ह । एहि सॅं मिश्रजीक अत्यन्त तप्पत पारा सेराइत-सेराइत किछु ठंढा भेलैन्ह ।

तदनन्तर गंभीर भाव सॅं विचार-विमर्श होमय लागल । मुख्यतः तीन टा प्रश्न उठल - (१) बुच्ची दाइ कैं कतेक दूर तक शिक्षा देल जाइन्ह ? (२) कतय राखि कऽ शिक्षा देल जाइन्ह ? (३) कोन रूपें शिक्षा देल जाइन्ह ?

प्रथम प्रश्नक सम्बन्ध मे एक वृहत् योजना तैयार भेल ।

बुच्ची दाइ कैं योग्य बनैबाक हेतु निम्नलिखित विषय निर्वाचित भेल ;- (१) हिन्ही, (२) अँग्रेजी, (३) संस्कृत, (४) गणित, (५) इतिहास, (६) भूगोल, (७) हाइजिन (स्वास्थ्य-विज्ञान), (८) पाक-शास्त्र, (९) शिल्प-कला, (१०) संगीत, (११) फिजिकल कल्चर (खेलकूद ओ व्यायाम), (१२) एटिकेट ((शिष्टाचार)

हिन्दीक हेतु निम्नांकित 'सिलेबस' (पाठ्यक्रम) निर्धारित भेल -

[१] व्याकरण और रचना - (क) शब्द विवरण, (ख) लिंग,वचन और कारक, (ग) वाक्य-रचना, (घ) क्रियापद (विशेषतः 'ने' चिह्नक प्रयोग), (ङ) अनुवाद (मैथिली सॅं हिन्दी), (च) पत्र-लेखन, (छ) निबन्ध रचना, (ज) अन्वय-व्याख्या-भावार्थ-लेखन, (झ) शब्द-संग्रह, (ञ्) मुहाविरा और लोकोक्ति, (ट)संस्कृत गर्भित वाक्यांश, (ठ) उर्दू अल्फाज ।

[२] गद्य साहित्य - (क) उपन्यास, (ख) कहानी, (ग) नाटक, (घ) प्रहसन, (ङ्) गद्य काव्य, (च) जीवन-चरित, (छ) समालोचना, (ज)विविध विषयक लेख (भ्रमण-वृत्तान्त आदि)

[३] पद्य-साहित्य - (१)प्राचीन कविता [तुलसी, सूर, कबीर, विद्यापति, मीराबाई, वृन्द, रहीम, रसखान, देव, केशव, मतिराम, पद्माकर, बिहारी, भूषण, गिरिधर राय, भारतेन्दु इत्यादि]

(२) अर्वाचीन कविता - ['हरिऔध', मैथिलीशरण, सनेही, त्रिशूल, रामचरित उपाध्याय, माखन लाल चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, पन्त, निराला, बच्चन, वियोगी, द्विज, दिनकर, आरसी,, इत्यादी]

(३)उर्दू कविता [मीर, दाग, आतिश, गालिब, नासिख, अकबर, विस्मिल इत्यादि । ]

(४) विविध साहित्याङ्ग- (क) रस, (ख) पिंगल, (ग) अलंकार, (घ)साहित्य-विवेचन, (ङ) हिंदी साहित्यक इतिहास।

एकरा अतिरिक्त सामयिक साहित्यक प्रगति सॅं परिचित होएबाक हेतु 'सरस्वती' 'माधुरी' 'सुधा', चाँद, विशालभारत, विश्वमित्र, हंस प्रभृति मासिक पत्रक सम्पूर्ण फाइल।

केवल एके सबजेक्ट (विषय) क तालिका देखि रेवतीरमणक पिलही चौंकय लगलैन्ह । मिश्रजी एतबा दया कैलथिन्ह जे 'पृथ्वीराज सॅं, सूरसागर, कबीरक साखी, जयशंकर प्रसादक नाटक, तथा पन्त, निराला और महादेवीक छायावाद रूपी आदिक रसास्वाद बुच्चीदाइ कैं करैबाक हेतु बेशी बाद-विवाद नहि कैलथिन्ह ।

हिन्दी अध्याय समाप्त भेला पर अँग्रेजी काण्ड सुरु भेल । एती काल धरि रेवतीरमण साहस कैने छलाह, किन्तु जखन सी० सी० मिश्र धड़ाधड़ शेक्सपीयर, मिल्टन, वर्ड्सवर्थ,शेली, कीट्स, ब्राउनिंग टेनीसन, हार्डी, डीकेन्स, थेकेरे, बर्नार्डशा, इबसेनक नाम लेबय लगलथिन्ह तखन धैर्यक बान्ह टूटि गेलैन्ह । ओ मन मे बिचारने छलाह जे बुच्चीदाइ कैं अँगरेजी मे मामूली बातचीत तथा चिट्ठी- पत्री करबाक हेतु थोडे़क ग्रामर, कम्पोजिशन, और ट्रान्सलेशन, सिखा देने काज चलि जैतैक । किन्तु सी० सी० मिश्र कहलथिन्ह जे अँगरेजीक 'जनल-मैगजीन' पढ़ि कऽ बुझबाक योग्यता होयब जरूरी छैन्ह । रेवतीक बहुत जोर लगौला पर सी० सी० मिश्र एतेक रेयायत केलथिन्ह जे चौसर (प्राचीन कवि) क कविता ओमिट कऽ (हटा) देलथिन्ह और इंगलिश प्रोसोडी (अंग्रेजी पिंगल) बुच्चीदाइ हेतु ओप्सनल (अपना इच्छा पर) छोड़ि देलथिन्ह ।

आब संस्कृतक पारी आयल । रेवतीरमण कैं पहिनहि सॅं छाती धड़कय लगलैन्ह जे कतहु बुच्चीदाइ कैं पाणिनीय व्याकरणक सूत्र नहि रटय पडै़न्ह । किन्तु सी० सी० मिश्र कैं अपनहि 'सिद्धान्त कौमुदी' नहि पढ़ल छलैन्ह । अतएव ईश्वरचन्द्र विद्यासागर कृत 'सरल व्याकरण' पर्याप्त बूझल गेल ताहू मे उणादि धातु, अणादि प्रत्यय, जुहोत्यादि गण यङ्गलुङ्न्त क्रिया, लिट लकार, और निपातन समासक फाँस सॅं गरदनि छोड़ा देल गेलैन्ह । मिश्रजी एतेक उदारता देखौलथिन्ह जे रघुवंश, कुमारसंभव, किरातार्जुनीय, शिशुपाल बध, नैषधचरित, शकुन्तला, उत्तर-रामचरित, स्वप्नवासवदत्ता, मृक्षकटिक, कादम्बरी, ओ दशकुमार चरित क स्थान मे केवल, हितोपदेश, पञ्चतंत्र, चाणक्यनीति, अमरकोश और दुर्गाशप्तशती पर स्वाच्छन्न दऽ देलथिन्ह कालिदास, भारवि, भवभूति, माघ, दण्डी, श्रीहर्ष, भास तथा बाणभट्ट सॅं बुच्चीदाइक पिंड छूटि गेलैन्ह ।

आब गणितक झमेला उठल । रेवतीक मन रहैन्ह जे चारु सरल नियम, एकिक नियम, त्रैराशिक और व्यवहारगणित सिखा कऽ बुच्चीदाइक जान बकसि देल जाइन्ह । किन्तु सी० सी० मिश्र अर्थमेटिक संग-संग ज्यूमेट्री और अलजेब्रा पर अड़ि गेलाह । रेवतीक बहुत घिघिएला पर आवर्त्त दसमलव तथा चक्रवृद्धि व्याजक हिसाब छोड़ि देलथिन्ह; रेखागणित मे २९ क साध्य सॅं आगाँ, और बीजगणित मे सर्ड ओ ग्राफ माफ कऽ देलथिन्ह ।

भारतवर्षक इतिहास वैदिक युग सॅं लऽ कऽ ब्रिटिश शासन पर्यन्त सम्पूर्ण । इंगलैण्डक इतिहास मे प्रथम जार्ज सॅं पूर्वक अंश 'छूट' देल गेलैन्ह । किन्तु तकरा बदला मे बुच्चीदाइ कैं फ्रांस, जर्मनी, रुस ओ अमेरिकाक क्रान्ति पढ़य पड़तैन्ह । संगहि संग अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति ।

भूगोल मे एशिया-यूरोप सांगोपांग । अफ्रिका, अमेरिका और आस्ट्रेलियाक नक्सा मोटा-मोटी । भिन्न-भिन्न देशक रहन-सहन, रीति-रिवाजक ज्ञान प्राप्त करैबाक हेतु मिश्रजी कैं 'लैण्ड ऎण्ड पीपुल सीरीज' बहुत उपयुक्त बूझि पड़लैन्ह ।

हाइजिन (स्वास्थ्य विज्ञान) मे बेशी तूल फजूल नहि भेलैन्ह । केवल निम्नलिखित विषयक तालिका बनल -

स्वास्थ्य रक्षा-दिनचर्या, ऋतुचर्या, दाँत और कानक सफाइ, वासस्थानक विचार-दूषित जलवा युक परिष्कार-कीटाणु सॅं रक्षा संक्रामक रोगक प्रतिकार ।

आहार विज्ञान - भोजन-तत्व-मिमांसा, पौष्टिक खाद्य ओ विटामिन वर्णन-दूध ओ फलक महत्व-खोइया ओ भुस्सा-चोकरक गुण ।

शरीर विज्ञान - अस्थिपिंजर, मस्तिष्क ओ स्नायुजाल, हृदय ओ स्वांसयंत्र, नाड़ी ओ रक्त संचालन क्रिया, अँतड़ीक कार्य तथा मल-निःसरण।

प्रारम्भिक उपचार तथा शुश्रूषा-मलहमपट्टी, सेंक, पुलटिस, मालिश, फुचकारी, रोगी कैं ठीक ढंग सॅं लघी-नदी ओ स्नान कराएब, सुताएब तथा खोआएब-टेम्परेचर चार्ट बनाएब, भिन्न-भिन्न प्रकारक पथ्य तैयार करब-अकस्मात चोट लगला, छिलैला, कटैला वा पकला पर तात्कालिक चिकित्सा।

धात्री विद्या-गर्भविज्ञान, प्रसवक वैज्ञानिक तरीका, प्रसूतिकाक रक्षा, स्त्री-रोगक लक्षण तथा चिकित्सा, सन्तानक रक्षा, शिशु-पालन, बाल रोगक निदान तथा उपचार।

पाक-कलाक हेतु सी० सी० मिश्र अँगरेजी खानाक 'कैटलग' (सूची) जोहय लगलाह। किन्तु रेवतीरमण कैं आब नहि रहल गेलैन्ह। कहलथिन्ह-'अंगरेजी खाना खैबाक हो त कोनो बावर्ची राखि लेब। आब ई त नहि होयत जे हमर बहिन अंडाक पुडिंग' तैयार करति।' हारि दारि कऽ हिन्दुस्तानीए खाना पर बुच्ची दाइ कैं 'फारखता' भेटि गेलैन्ह। किन्तु सी० सी० मिश्र 'बङ्गला स्टाइल'क खाना पसन्द करैत छलाह। तैं 'डालना' 'चर्चरी भाजा' 'इलिश माछेर टक' चिङ्गरी माछेर कट्लेट' हाँसेर डिमेर चाँप तथा रसोगोल्ला बुच्ची दाइक कोर्स मे सम्मिलित भऽ गेलैन्ह।

शिल्प-कला मे रुमाल, पर्दा, टेबुल क्लाथ, ब्लाउज, शेमीज, फ्रौक, अंडरवियर, मौजा, गुलबन्द स्वेटर, - एतेक त अनिवार्ये बूझल गेल । पशु-पक्षी तथा फूल-पत्ती, काढ़ब बुच्चीदाइ कैं अपना शौक पर छोड़ि देल गेलैन्ह ।

आब 'संगीत' कऽ चलल । सी० सी० मिश्र बुच्चीदाइ कैं सिखैबाक हेतु निम्नलिखित रागिनीक नाम संकलित कैने छलाह -

भैरव, मालकोश, असावरी, तोड़ी, कलिंगडा, जोगिया, खम्माज, पुरिया, बिलावल, पीलू, ईमनकल्याण, भीमपलासी, तिलक कामोद, दरबारी कान्हड़ा, इत्यादि ।

एहि मे प्रत्येक सरगम, आरोह-अवरोह, वादी, सम्वादी, अनुवादी, विवादी, मात्रा, लय, ताल, आलाप, तान पकड़, ध्रुपद खयाल, टप्पा, ओ ठुमरी समेत ।

एतेक सूनि रेवतीक तेहन अवस्था भऽ गेलैन्ह जाहि मे 'मलार' गायब कठिन बूझि पडै़त छैक ।

अन्ततोगत्वा बहुत महोजरो कैला पर केवल भैरवी, विहाग, वागेश्वरी, देश ओ काफी पर मामिला फरिछा गेल । बाजा मे केवल हारमोनियम और बेहाला । तबलाक 'ताधिन धिन्ना' ओ सितारक 'तुम तन नन' सॅं बुच्चीदाइ कैं पिंड छूटि गेलैन्ह ।

एडिशनल सबजेक्ट (अतिरिक्त विषय) मे निम्न लिखित वस्तु बुच्ची दाइक हेतु आवश्यक बुझल गेलैन्ह -

स्वास्थ्य-सौन्दर्यक हेतु कइएक तरहक 'एक्सरसाइज' (व्यायाम) तथा स्विमिंग (हेलनाइ) ; फुर्ती ओ तेजीक हेतु टेनिस तथा रोपडान्स (पैर तर रस्सी नचौनाइ) स्मार्ट बनक हेतु साइकिल और मोटर हकनाइ; अप-टु-डेट बनबाक खातिर स्टाइल सॅं साड़ी पहिरनाइ और भद्रमहिला बनक हेतु सभ्य-समाजक एटिकेट(शिष्टाचार) ।

एवं प्रकार बुच्ची दाइ कैं योग्य बनैबाक हेतु विस्तृत योजनाक निर्माण भेल ।

आब दोसर-तेसर प्रश्न पर विचार होमय लागल । बहुत तर्क-वितर्कक अनन्तर निश्चय भेल जे काशिए मे मकान भाडा लऽ कऽ बुच्ची दाइ कैं पढ़ाओल जाइन्ह । किन्तु स्कूलक निम्न कक्षा मे नाम लिखौने छोट-छोट बच्चीक संग बैसि कऽ पढ़य पडतैन्ह, ताहि सॅं लज्जा बोध करतीह । तैं डेरे पर पढै़बाक प्रबन्ध होइन्ह ।

ततः पर प्रश्न उठल जे पढौतैन्ह के ? सी० सी० मिश्र कहलथिन्ह जे और सभ विषय त हम अपने पढ़ा देबैन्ह । किन्तु संगीत शिल्पकला, पाकशास्त्र तथा धात्री-विद्याक हेतु शिक्षिका राखय पड़त ।

आब ई 'बजट' बनय लागल जे बूच्ची दाइ कैं एतय रखबा मे खर्च कतेक पड़त । बुच्ची दाइ एकसरि त रहतीह नहि । संग मे एक और स्त्री रहब आवश्यक छैन्ह । एक टहलनी वा नोकर रहबे करतैन्ह । भानस भात मे लगतीह त पढ़बाक बहुमूल्य समय ओही मे नष्ट भऽ जेतैन्ह । अतएव भनसीयओ जरुरिए छैन्ह । परिवारक रहबा योग्य मकानक भाड़ा तीस-चालिस टका सॅं कम नहि । मोटा-मोटी हिसाब कैला पर देखलन्हि जे डेढ़ सै टका मास सॅं कम मे गुजारा नहि । तत्काल मे प्रयोजनीय पाठ्य-पुस्तक तथा बाजा आदि किनबा मे चारि पाँच सै टकाक खर्च अलावे ।

ई आर्थिक समस्या हल कोना होऎ ? एहि विषय मे सी० सी० मिश्र उदारताक परिचय देलन्हि । सार कैं कहलथिन्ह - अहाँक भार एतबे जे ओतय सॅं मंगा लिऔन्ह । एतऽ ऎला पर जे खर्च पड़त से हमर । हॅं डेरा डंटा क सल्तनत अहाँ कैं लगा देबऽ पड़त । मिश्रजी मनहि मन हिसाब कऽ देखलन्हि जे 'टाइम्स' मे लेख देने और 'ट्यूशन' द्वारा एतबा रुपयाक ब्यौंत होयब कठिन नहि ।

आब ई प्रश्न उठल जे बुच्ची दाइ औतीह कोना ? और हुनका संग रहतैन्ह के ? बहुत तारतम्य उपरान्त ई निश्चय भेल जे भाद्र पूर्णिमा मे चन्द्रग्रहण लगैत छैक; ताही लाथें लालकाकी बेटी कैं नेने काशी आबथि । ताबत एहि ठाम डेरा ठीक भेल रहय । और लोक सभ ग्रहण-स्नानक बाद घर जाथि; किन्तु लालकाकी बेटीक संग मास करक ब्याज सॅं एत्तहि रहि जाथि । तदनन्तर पाछाँ बूझल जैतैक ।

रेवतीरमण अपना माय कैं पत्र पठौलन्हि, जाहि मे सी० सी० मिश्रक आशय जनबैत लिखलथिन्ह जे चिट्ठी देखैत ग्रहण-स्नानक हेतु काशी अबैत जाउ ।

आब विचार कैं कार्यान्वित करबाक यत्न होबय लागल । दुनू सार बहिनोय मकानक तलाश मे बिदा भेलाह । सी० सी० मिश्रक आन्तरिक अभिप्राय रहैन्ह जे गंगाकात मे डेरा लेल जाय, जाहि सॅं बुच्चीदाइ कैं हेलनाइ सीखऽ मे सुभीता होइन्ह । अतएव असी घाटक समीप एकटा छोटछीन मकान चुनलन्हि । ओहि मे और बात सभ त मन मोताबिक भेटलैन्ह किन्तु आङ्गन बैडमिंटन खेलयबा योग्य नहि । तथापि दस टका अगाउ दऽ कऽ डेरा लेल गेल ।

सी० सी० मिश्र कै आब भनसीयाक फिकिर भेलैन्ह। यदि बङ्गला खाना बनाबऽवला रसोइया भेटि जाय त 'एक पंथ दुइ काज'। संयोगवश मालदह जिलाक एक 'ठाकूर' भेटि गेलैन्ह जे बीस वर्ष धरि ढाका, मुर्शिदाबाद ओ मैमनसिंह जिला मे पाककलाक 'ट्रेनिंग' पौने छल। मिश्र जी बीस टका पर तकरो नियुक्त कैलन्हि।

एक दिन दशाश्वमेघ घाट पर सी० सी० मिश्र कैं एक मधुर स्वर लहरी सुनाइ पड़लैन्ह। पुछारी कैला पर ज्ञात भेलैन्ह जे एक भगतनी दाइजी नित्य एहिठाम आबि कऽ गंगा -पूजन ओ भजन करै छथि। भगतिनीजीक अपूर्व शोभा ओ ठातः-बाट देखि मिश्रजी चकित रहि गेलाह। भगतिनीजीक स्वरूप अत्यंत भव्य मुखमंडलक दिव्य कांति। गोर दगदग शरीर पर लाल रेशमी साड़ी खिलैत। भरल-पुरल अंग देखि ई अन्दाज करब कठिन जे बाइस बर्षक थिकीह वा बत्तीस वर्षक वा बेयालिस वर्षक। भगतिनीजी मस्त भऽ कऽ बैसलि तानपूरा पर एक भजन गबैत छलीहि-

'जखन चरण गंगाजीक धैलहुँ आनक की दरबार!'

दर्शकवृन्द मन्त्रमुग्ध जकाँ ठाढ़ भय भगतिनीजीक संगीत-सौन्दर्य-रस पान करैत छलाह। ओहि में कतेक एहनो श्रद्धालु भक्त छलाह जे भगतिनीजी कैं साक्षात भगवतीक अवतार बुझैत छलथिन्ह।

भगतीनीजीक चन्दन-चर्चित चन्द्रमा सन चमकैत ललाट, पृष्ठदेश मे भूमि पर छितराएल एक पाँज कारी केश, मांसल वक्षःस्थल पर सोनक तार में गाँथल रुद्राक्ष-माला; सभ मिलि एक तेहेन अदभुत रसक सृष्टि करैत छल जाहि में शान्त और श्रृंगार गंगा-यमुना जकाँ मिलि एकाकार भऽ जाइत छल।

भजन समाप्त भेला पर भगतिनीजी लट छिटकौने अपन चाँदीक गंगाजली ओ फुलडाली उठौलन्हि और खसक खुशबु सॅं घाट-बाट कैं मँह-मँह करैत विश्वनाथजी पर बेलाक गजरा चढाबक हेतु चललीह।

सी० सी० मिश्रक हृदय भक्ति और श्रद्धा सॅं परिपूर्ण भऽ उठलैन्हि। ओहो विश्वनाथजीक मन्दिर धरि गेलाह। ओतय भगतिनीजीक पूजनक ठाट-बाट देखि मिश्रजी और चकित रहि गेलाह। विचारलन्हि जे जौं ई भगतिनीजी कतहु बुच्चीदाइ कैं गायन-वादन सिखाएब गछि लेथि त घीवो सॅं वेशी चिक्कन!

एक घंटाक बाद भगतिनीजी मन्दिर सॅं बाहर भेलीह और डॆरा दिस चललीह। मिश्रजी हुनक पछोहि धैने कचौड़ी गली मे एक मकानक सामने एलाह। भगतिनीजी भीतर पैस गेलीह मिश्रजी बाहर थकमकाय लगलाह।

दस मिनटक भीतर एक खबास आबि कहलकैन्ह जे माइजी अन्दर बजा रहल छथि । मिश्रजी पनही उतारि किछु धखाइत भीतर गेलाह ।

आब देखै छथि त दोसरे ठाठ-बाट । बेशकीमती ईरानी कालीन पर कामदार मखमली मसनद सॅं ओंगठलि भगतिनीजी गोमुखी मे हाथ देने जप कऽ रहल छथि ।

पेयाजी सिल्कक खुलता जम्फर सॅं रुद्राक्षक दाना झलकैत छलैन्ह तरकुन जकाँ डगडग करैत गुदगर देहक चमकैत अङ्गौट पर गँगौटक छाप बिहारीलालक शब्द मे 'दृगपग पायन्दाज' बनल छलैन्ह । सिन्दूर -आभूषण वेत्रेक ओ सोलहो श्रृंगारवाली सोहागिन कैं मातु करै छलीह ।

भगतिनीजी मिश्रजी कैं किछु संकुचित जकाँ देखि सहज वात्सल्य स्नेह सॅं अपना लग बैसा, परिचय पूछय लगलथिन्ह । मिश्रजीक अभिप्राय सुनि ओ बजलीह - बच्चा हम त केवल गंगाजी और विश्वनाथजी कैं छोड़ि ककरो ओहि ठाम नहि जाइ छी । हरिर्विष्णु हरिर्विष्णुः । यदि अहाँक स्त्री कैं हमरा सॅं किछु सिखबाक होइन्ह त एत्तहि कहियो काल कऽ आबि जैहथि । हरिर्विष्णु हरिर्विष्णुः ।

भगतिनीजीक सामने योगवसिष्ठ और पानदान दूनू राखल छलैन्ह । भगवद्गीताक पुस्तक पर बनारसी जर्दाक डिबिया तथा कान मे तुलसीदलक संग-संग मोतियाक फाहा देखि ई अनुमान करब कठिन नहि जे भगतिनीजी योग और भोग मार्गक गठबन्धन कय विलक्षण संयोग कैने छथि ।

भगतिनीजी प्रसाद-स्वरुप चाँदीक वर्क मे लपेटल गंगाजल सॅं सिक्त पानक खिल्ली सी० सी० मिश्रक आगाँ बढा देलथिन्ह । मिश्रजी भक्तिपूर्वक माइजीक प्रसाद ग्रहण करैत बिदा भेलाह । नीचा ऎला पर देखै छथि जे जूता गायब । किन्तु पुछारी करबाक साहस नहि भेलैन्ह । खालिए पैताबा पहिरने गलीक मोड़ पर ऎलाह और ताङ्गा कऽ कऽ डे़रा पहुँचलाह ।

संगीत-शिक्षिकाक जोह करबाक खुशी मे मिश्रजी कैं नव 'फ्लेक्स शू' हेरैबाक मोह नहि रहलैन्ह । आब ओ होसियार 'मिडवाइफ' (धात्री) क टोह मे बौआय लगलाह । एक ठाम पता लगलैन्ह जे कबीर चौड़ाक गलीक मोड़ पर एक मेम रहै अछि जे लंडन सॅं 'मिडवाफरी' (धात्री-विद्या) पास कैने छथि ।

मेम एक अंग्रेजी होटलक ऊपर मे रहैत छलीह । सी० सी० मिश्र एक वेयराक हाथें अपन कार्ड पठा देलथिन्ह । कनेक काल मे बजाहटि भेलैन्ह । सी० सी० मिश्र ऊपर गेलाह । परमीशन लऽ, चिक हटा भीतर गेलाह । मेम सोफा पर बैसलि मोजा बुनैत छलीह । हिनका देखि कुर्सी पर बैसबाक इसारा करैत पुछलकैन्ह - 'गुडमौर्निंग, क्या कहना माङ्गटा है, बाबू ?'

सी० सी० मिश्र तेहन लटपटाइत जकाँ अपन उद्येश्य कहलथिन्ह जे ओकरा दोसरे अर्थ लगलैक । कहलकैन्ह - 'तुम्हारा वाइफ के पास जाना होगा । हमारा फीस एक टाइम का बीस रुपी ।'

सी० सी० मिश्र सलाम कऽ कऽ जहिना नीचा उतरक हेतु बिदा भेलाह कि मेम बाट छेकि कऽ ठाड़ भऽ गेलैन्ह - 'सुनो बाबू ! हमारा कन्सलटेशन फी पाँच रुपी है सो डेटा जाव ।'

आब मिश्रजी कैं ऊपर टाङ्गल साइनबोर्ड पर नजर पड़लैन्ह - 'कन्सल्टेशन फी रुपीज फाइव ।'

मेमक 'बुलडौग' कैं अपना दिस तकैत देखि सी० सी० मिश्र मनीबेग सॅं एकटा पॅंचटकही नोट बहार कय जान छोड़ा कऽ नीचा सड़क पर ऎलाह ।

डेरा पर पहुँचि रेवतीरमण कैं कहलथिन्ह - आब अहाँक बहिन एतय पहुँचतीह तखने सभटा प्रबन्ध लगतैन्ह । एखन 'गाछे कटहर ओठे तेल' कैने कोन फल ?'

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